प्रखंड के तसरार पंचायत स्थित चकरी गांव में बिती रात्रि हाथियों के झुंड ने दम तक उत्पादन मचाया। इस दौरान उनके द्वारा गांव के शिवकुमार कोरबा, किरण देवी, रामाधार कोरबा, शंकर कोरबा, दिनेश कोरबा, राम प्रवेश, सुकन कोरबा इत्यादि ग्रामीणों के खेत में लहलहा रहा गेहूं मटर व अरहर की फसलों को रौंद कर पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया ।उनके आतंक से जहां ग्रामीणों के द्वारा 10 एकड़ से भी अधिक की रकबा में लगाया गया फसल पूरी तरह चौपट हो गया वहीं उनमें अभ दहशत भी व्याप्त हो गया है। हाथियों के आतंक से सबसे ज्यादा छती गांव के शिवकुमार कोरबा और किरण देवी का होना बताया जा रहा है। शिवकुमार कोरबा का एकड से भी अधिक रकवा में उपजा गेहूं का फसल बर्बाद हो गया तो किरण देवी का बीघा भरा खेत में लहलहा रहा मटर का फसल चौपट हो गया। इसी तरह अन्य किसानों में किसी का पांच कठा किसी का दस कठा तो किसी का बीघा भर खेत में उपजा फसल को हाथियों के द्वारा तहस-नहस कर के बर्बाद कर दिया गया । दर्जनों की संख्या में वित्ती रात्रि को गांव पहुंचा हाथियों का आतंक इस कदर रहा कि ग्रामीण कई तरह का आवाज से उसे भगाने का प्रयास किए लेकिन वे सभी उसमें सफल नहीं हो पाए। हाथियों ने संयुक्त रूप से मिलकर 3:00 बजे रात्रि तक खेत में उपजे फसलों को तहस-नहस करते रह गए। ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि कुत्ते की भौंकने की आवाज सुनकर हम सभी अपने घर से बाहर निकले तो दो-चार की संख्या में हाथियों को देखा गया। उसके बाद टोर्च की रोशनी से देखे तो उसके साथ-साथ अन्य जगहों पर दर्जनों से भी हाथियों का झुंड को देखा गया। उसके बाद टोर्च की रोशनी देखते ही वे स भी सीधे खेत में उपजे फसल में उतर गए और तहस-नस करना शुरू कर दिए। इसी बीच इसकी जानकारी हम लोगों ने टेलीफोन के माध्यम से वित्ती रात्रि को ही एक-एक कर लगभग सभी ग्रामीणों तक पहुंचाया गया। उसके बाद सभी लोग एकत्रित होकर खेत के पास पहुंच हाथियों को कई तरह के आवाज देकर भगाने का प्रयास करने लगे लेकिन वे सभी वहां से नहीं भागे।वहीं वे सभी 3:00 बजे रात्रि तक खेतों में आतंक मचाते रह गए।उन्होंने कहा कि काफी दूर से पानी का पटवन कर हम सभी अपने-अपने खेतों में उपजे फसल को पालने का काम किया था लेकिन जैसे ही वह फसल तोड़ने और काटने के कगार पर पहुंचने लगा कि हाथियों के आतंक ने उसे बर्बाद कर दिया ।साथ ही कहा कि वह फसल से हम लोगों को बहुत बड़ी उम्मीद थी लेकिन उस पर हाथियों ने पानी फेर दिया । जानकारी देने के दौरान ही ग्रामीण शिवकुमार कोरबा पूरी तरह भाव विभोर हो गया और आंख से आंसू बहाते उक्त व्यथा को साझा करने का काम किया । शिवकुमार ने कहा कि बहुत ही महंगे दर पर खुले बाजार से गेहूं का बीज खरीद कर अपने एकड़ भर से भी.अधिक खेत में उसे बोया था। साथ ही बहुत दूर-दूर से पानी का प्रबंध कर उसे जीवित रखा और अब तक माल मवेशियों से बचने का काम किया था लेकिन अंत समय में उसे हाथियों के झुंड ने पूरी तरह नष्ट करके रख दिया । वहीं ग्रामीणों ने बताया कि इसकी जानकारी हम लोगों ने विभागीय पदाधिकारीयो से लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी तक भी पहुंचाने के काम किया लेकिन अभी तक किसी के द्वारा सार्थक पहल नहीं किया गया। उन्होंने कहा की जानकारी पाकर वन विभाग के गार्ड स्थल पर पहुंचे लेकिन वे भी घटनास्थल पर न जाकर सिर्फ खाना पूर्ति कर गांव से ही वापस लौट गए।
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