नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत वार्ड नंबर 04 ग्राम गहीडी में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा प्रवचन ने पूरे क्षेत्र का माहौल आध्यात्मिक बना दिया है। आयोजन के तीसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथावाचक पूज्य श्री सरवन जी महाराज ने कथा श्रवण के महत्व और समाज सुधार पर गहन विचार प्रस्तुत किया।
महाराज ने श्रद्धालुओं से कहा कि जिस गांव या कस्बे में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन होता है, वहां केवल कथा श्रवण से लोगों की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल जाती है तथा वहां की वसुंधरा पवित्र हो जाती है।उन्होंने स्पष्ट किया कि श्रीमद् भागवत कथा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह जीवन को नई दिशा देने वाला दैवीय मार्गदर्शन है।
उन्होंने कहा कि कथा को केवल कहानी समझकर न सुनें, बल्कि इसके गहरे संदेश पर चिंतन और मनन करें। श्रीमद् भागवत गीता हमें यह सिखाती है कि धर्म, कर्म और सत्य के मार्ग पर चलने से ही जीवन सफल और सुखी होता है। कथा श्रवण से घर-परिवार में शांति स्थापित होती है, अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
समाजिक बुराइयों पर प्रकाश डालते हुए महाराज ने दहेज प्रथा को सबसे बड़ा अभिशाप बताया। उन्होंने कहा कि दहेज ने असंख्य बेटियों की बलि ली है और कई परिवारों को विनाश की ओर धकेला है। उन्होंने उपस्थित लोगों से अपील की कि बेटियों को बोझ न समझें, बल्कि वरदान मानें। दहेज लेने और देने से समाज में अंधकार फैलता है, इसलिए सभी को मिलकर इस कुप्रथा को समाप्त करना चाहिए।
श्री सरवन जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और कर्तव्य मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए। गीता का प्रत्येक श्लोक हमें साहस, संयम और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।
प्रवचन के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। वातावरण भक्ति रस से सराबोर रहा और श्रोतागण “हरे कृष्ण, हरे राम” के नाम से भावविभोर होकर झूम उठे।
👉 इस प्रकार मझिआंव की यह सात दिवसीय कथा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता फैलाने और लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संदेश भी दे रही है। प्रवचन के दौरान सेवानिवृत शिक्षिका सत्या दुबे सहित सैकड़ो महिलाओं पुरुष उपस्थित थे।